मसाले का पौधा

मसाले का पौधा
वानस्पतिक नाम
Trachyspermum ammi (L.) Spragueपरिवार
एपिएसीवाणिज्यिक अंग
फलविवरण
यह एक सीधा, अरोमिल या बहुत ही कम रोमिल शाखीय वार्षिक पौधा है। इसका तना मजबूत और पत्ते कुछ कुछ अलग-अलग, दो-तीन पिछाकार विभाजित, प्रत्येक खण्ड रेखीय होते हैं। फूल आवधिक या पार्श्विक प्रतीत होनेवाले पुष्पवृंत, मिश्रित पंखुडियाँ, सफेद व छोटे दिखाई पडते हैं और फल अण्डाभ, रुक्षवर्ध, सुगंन्धित क्रिमोकॉरप्स, धूसर भूरे रंग के है। फलांशक, जो फल के घटक है, संपीडित, खास कटक और गुलिकीय सतह वाला, एक बीजीय है।
व्युत्पत्ति और प्रसारण
अजवाइन का उद्भव मध्य पूर्वी, खासकर ईजिप्त और भारतीय उपभूखण्ड में हुआ। साथ ही ईरान, और अफ्गानिस्थान में। भारत में अजवाइल उत्पादक राज्य मुख्यत: राजस्थान, गुजरात हैं। राजस्थान में भारत के कुल उत्पादन के 90 प्रतिशत उत्पादित किया जाता है।
उपयोग
पाचनशक्ति बढानेवाली तथा बदहजमी से होनेवाली पेटदर्द मिटाने में औषध के रूप में इसका परंपरागत उपयोग होता है। दक्षिण भारत में सुखाए गए अजवाइन बीजों को चुर्ण बनाकर, दूध में मिलाकर, छानकर नन्हें बच्चों को पिलाया जाता है। कई लोगों का मानना है कि बच्चों में होनेवाली उदरशूल से आराम देता है और बच्चों में पाचनशक्ति व भूख बढाता है। बडे पशुओं में पाचनशक्ति बढानेवाले मिश्रण के रूप में अजवाइन का उपयोग किया जा सकता है। उत्तर भारत के कई भागों में, बडे बडे दावतों के बाद अजवाइन अक्सर लिया जाता है।
भारतीय नाम
हिन्दी - अजवाइन बंगाली - जोवन या जोअन गुजराती - यावन कन्नड - ओमा कश्मीरी - जाविन्द मलयालम - ओमम मराठी - ओंवा उडिया - जुआनी पंजाबी - अजमोदा, अवानिका संस्कृत - अजमोदा, अवानिका तमिल - ओमम तेलुगु - वामु उर्दु - अजोवन
विदेशी नाम
Latin : Trachy Spermum Ammi Persian : Zinian, Nankhwah Arabic : Kamme Muluki